श्री-श्री 108 बाबा गणिनाथ की 55वीं जयंती दिनांक 23.8.2025, दिन-शनिवार को राँची मध्यदेशीय वैश्य विकास समिति राँची द्वारा सरहुल नगर, बरियातु, राँची में मनाने जा रही है।
आप सभी अपने कुल गुरू की जयंती में तन, मन, धन से सम्मिलित होकर बाबा के आर्शीवाद के भगीदार बनें।
अध्ययन, मनन और चिंतन जीवन की श्रेष्ठता का मूल आधार हैं। हम सब जानते है कि जीवन का सबसे अच्छा मित्र पुस्तक है। किंतु सामाजिक परिवेश में संगठन ही एक ऐसा माध्यम है जो हर व्यक्ति के समाजिक और बौद्धिक विकास के साथ ही साहस, मर्यादा, संबल और संबंधो को मजबूती प्रदान करता है।
हम वैश्य वर्ण के है जिनके हिस्से व्यवसाय को प्राथमिकता दी गई है। प्राथः देखने में आता है कि मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों को आरंभ से ली व्यवसाय संभालने का जिद किया जाता है। जिससे बच्चों की पढ़ाई के प्रति ध्यान भटकने लगता है। हमारी आने वाली पीढ़ी को लक्ष्मी से ज्यादा सरस्वती यानी पढ़ाई-लिखाई की जरूरत हैं। अगर बेटा या बेटी शिक्षित होगें तो वह हर प्रकार के समस्याओं से लड़कर उस पर विजय प्राप्त कर सकेगें और अपनी प्रतिभा के अनुरूप समाज व संगठन को अपना योगदान दें सकेगें।
कोई भी संगठन शक्तिशाली तभी बनता है जब उसे कुछ अनुशासित नियमों के साथ चलाया जाता है। संगठन आपसी दूरियों को समेटने, सहेजने और साथ चलने का मार्ग प्रशस्त करता है ताकि संगठन के माध्यम से पूरे समाज का समग्र विकास किया जा सकें। मैं सभी लोगों का आवाहन करता हूँ कि सभी स्वजन एकजुट हों।
एक अभ्युदय एक संविधान और एक संगठन के साथ अपने स्वजातीय विकास के लिए कृत संकल्पित हों।
सबका साथ सबका विकास की नीति को फलीभूत करें।
।। जय बाबा गणिनाथ-जय बाबा पलटू दास-जय वावा सरजूदास ।। "गणिनाथ पूजा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ"सादर प्रेषितअध्यक्षः कन्हैया लाल गुप्ताराँची नगर मध्यदेशीय वैश्य विकास, समिति, राँची (झारखण्ड)
हमारे प्रिय स्वजातिय बन्धुओं
हार्दिक हार्दिक बधाई एवं स्वागतश्री-श्री 108 बाबा गणिनाथ की 55वीं जयंती दिनांक 23.8.2025, दिन-शनिवार को राँची मध्यदेशीय वैश्य विकास समिति राँची द्वारा सरहुल नगर, बरियातु, राँची में मनाने जा रही है।
आप सभी अपने कुल गुरू की जयंती में तन, मन, धन से सम्मिलित होकर बाबा के आर्शीवाद के भगीदार बनें।
अध्ययन, मनन और चिंतन जीवन की श्रेष्ठता का मूल आधार हैं। हम सब जानते है कि जीवन का सबसे अच्छा मित्र पुस्तक है। किंतु सामाजिक परिवेश में संगठन ही एक ऐसा माध्यम है जो हर व्यक्ति के समाजिक और बौद्धिक विकास के साथ ही साहस, मर्यादा, संबल और संबंधो को मजबूती प्रदान करता है।
हम वैश्य वर्ण के है जिनके हिस्से व्यवसाय को प्राथमिकता दी गई है। प्राथः देखने में आता है कि मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चों को आरंभ से ली व्यवसाय संभालने का जिद किया जाता है। जिससे बच्चों की पढ़ाई के प्रति ध्यान भटकने लगता है। हमारी आने वाली पीढ़ी को लक्ष्मी से ज्यादा सरस्वती यानी पढ़ाई-लिखाई की जरूरत हैं। अगर बेटा या बेटी शिक्षित होगें तो वह हर प्रकार के समस्याओं से लड़कर उस पर विजय प्राप्त कर सकेगें और अपनी प्रतिभा के अनुरूप समाज व संगठन को अपना योगदान दें सकेगें।
कोई भी संगठन शक्तिशाली तभी बनता है जब उसे कुछ अनुशासित नियमों के साथ चलाया जाता है। संगठन आपसी दूरियों को समेटने, सहेजने और साथ चलने का मार्ग प्रशस्त करता है ताकि संगठन के माध्यम से पूरे समाज का समग्र विकास किया जा सकें। मैं सभी लोगों का आवाहन करता हूँ कि सभी स्वजन एकजुट हों।
एक अभ्युदय एक संविधान और एक संगठन के साथ अपने स्वजातीय विकास के लिए कृत संकल्पित हों।
सबका साथ सबका विकास की नीति को फलीभूत करें।
।। जय बाबा गणिनाथ-जय बाबा पलटू दास-जय वावा सरजूदास ।। "गणिनाथ पूजा की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ" सादर प्रेषित अध्यक्षः कन्हैया लाल गुप्ता राँची नगर मध्यदेशीय वैश्य विकास, समिति, राँची (झारखण्ड)